Couplet #7
मेरे इश्क़ की सादगी तो देख, शिददत तूने कभी बयां नहीं की, मेने फिर भी मोहब्बत रूहानी मान ली, तूने मोहब्बत में नफ़रमानी ही जताई, मैं बेवक़ूफ़...
मेरे इश्क़ की सादगी तो देख, शिददत तूने कभी बयां नहीं की, मेने फिर भी मोहब्बत रूहानी मान ली, तूने मोहब्बत में नफ़रमानी ही जताई, मैं बेवक़ूफ़...
Let nights be the favourite part of the day, Fights be the reasons, good times are so gay, Let justice be the dog, karma be the bitch,...
Dear future lover, It's been months and I still can’t get over her. Sometimes I mull over if it’s really something intriguing about her...
ख़्यालों में हों रूबरू, लफ्ज़ों में न हो गुफ़्तगू, बयां करने की न तक़ल्लुफ़ हो, ऐसे ही इश्क़ की है जुस्तजू। ©मयन, December 17, 2015
तुझको तरजीह देने की आदत बदल सी रही है, लगता है मोहोब्बत कम हो चली है ! ©मयन, October 30, 2015
बेमुरव्वत-सी कैसी फितरत है ये तेरी ज़िंदगी, तबस्सुम मुख्तसर वक्त की नसीब है और ज़ख्म मुसलसल देती चली जाती है । ©मयन, October 13, 2015
जज़्बातों को अल्फ़ाज़ों के रंग में बिखरने दे, लहू को मेरे स्याही, कलम को तलवार बनने दे । ©मयन, September 30, 2015
‘Mirror, O Mirror, the fuck did i see?!’ ‘Nothing but your face dear Human, on your plea.’ ‘But this ain’t me, what have you done?!’...
जिसे पढ़ा नही, कभी लिखा नही, जो कथित नही , कहीं गठित नही, कागज पर उतरने की चाह में जो, शुरू हूई, पर खतम नही, वो कविता हुं मैं! नाव नही,...
न जाने क्यूं, कभी कभी ऐसा लगता है जेसे अभी बहुत कुछ पाना बाकी है, जेसे कहीं जा रहे हैं और कहीं पहुचना बाकी है | ना जाने क्यूं एक बेचेनी...
रोते बच्चे की वो चाह, ढलते बुढ़ापे की इच्छा, सरहद पर तन्हाई, वो बेमतलब की लडाई, उस बच्चे को मनाना है, वृद्ध के जीवन को सुलझाना है, देश...
चलो चलें पहाड़ पर, वो जश्न की बाहार में, चढ़ें फिर आसमान तक, चीर दें भुजाओं से, चीर कर गगन को यूं, भरें वो रंग जीत के, जीत कर अंधेरे को,...
यूं तो आज भी कुछ नही हूँ मैं, फिर भी कभी कभी सोचता हूँ— —कितनो से आगे निकल आया हूँ, और कितना आगे निकल आया हूँ! कभी जिनकी किस्मत को...