Couplet #4Mayan KansalOct 13, 20151 min readबेमुरव्वत-सी कैसी फितरत है ये तेरी ज़िंदगी, तबस्सुम मुख्तसर वक्त की नसीब है और ज़ख्म मुसलसल देती चली जाती है ।©मयन, October 13, 2015
Couplet #21ख़्वाबों का, चाहतों का, इरादों का जो भी हश्र हो, फ़क़त ख़ुद से ख़ुद तक का सफ़र न कभी मुक़म्मल हो। ©मयन, 9th March, 2019
Comments