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चलो चलें पहाड़ पर !

  • Writer: Mayan Kansal
    Mayan Kansal
  • Jun 15, 2014
  • 1 min read
चलो चलें पहाड़ पर, वो जश्न की बाहार में, चढ़ें फिर आसमान तक, चीर दें भुजाओं से, चीर कर गगन को यूं, भरें वो रंग जीत के, जीत कर अंधेरे को, करें पतन वो रात का, फिर दिखेगा रंग वो, उगेगा सूरज प्रभात का !


सोयें फिर कभी नही उगे जो सूरज आज फिर, जीत कर जो आयें हैं वो रात अंधकार की

वो रात अंधकार की

करम-वीर तुम बड़े चलो, ना अंत हो इस रुझान का, आज फिर नया लिखें, पाठ इस उमंग कावो जश्न-ए-हिंदुस्तान का ! वो जश्न-ए-हिंदुस्तान का !

चलो चलें पहाड़ पर, जियें फिर पल अभिमान के, जीत कर जो आयें हैं, वो दर्द-ए-इम्तेहान के ! वो दर्द-ए-इम्तेहान के , वो दर्द-ए-इम्तेहान के !

©मयन, June 15, 2014

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